हर बुराई या दुहाई में मेरा रखवाला
मेरी हर मुश्किल-मुसीबत का सहारा
मेरे व्यक्तित्व को कुम्हार की भांति संवारा
मेरी नींद को मीठे सपने देकर अपनी नींद को भुलाता वो
मुझे पढ़ाने क लिए अपने ऐशो-आराम को गंवाता वो
व्यस्क को स्नातकता के लिए अपनी जमा पूँजी को झोंकता वो
मेरी जीवनी को संवारने की खातिर, अपने सम्मान की बलि देने से भी न कभी कतरायेगा वो
मेरे सुख साधन और चमक धमक क लिए, अपने कपड़े तक खरीदना भूल जाता है वो
मेरे जीवन की हर त्रुटी मिटाने क लिए, अपने अरमानो का हर रोज़ गला घोंटता है जो................
वो है मेरा जन्मदाता, मेरा पिता
इस जन्म में इश्वर जैसा मुझे मिला
उसी पिता का है यह सब प्रताप
कोशिश यही है की न करूँ कभी उसके ह्रदय पे अघात
में धन्य हूँ, करता हूँ उसे नमन
मान-सम्मान बढ़ने हेतु करूँगा हर जतन........