आँखों में मंज़िल का गुरूर
मंज़िल पाने का जज्बा भरपूर
फिर भी न जाने मंज़िल लगती क्यों दूर
तूफ़ान से तेज़ चलने की चाह
हर घडी हर वक़्त बदलती है राह
सारी कायनात इस बात की है गवाह
कितना बेताब हूँ पाने को सुबह
जब भी लगा थक गया हूँ
थमने पर मजबूर हो गया हूँ
लगा जैसे की भीड़ में खो गया हूँ
इसलिए नयी उड़ान भर अब मैं गगन का हो गया हूँ
उस गगन की तो बात ही निराली है
कभी सूर्य की शक्ति, तो कभी तारो की हरियाली है
पता चला मुझे की, मेरा इश्वर इस बागीचे का माली है
तभी तो यहाँ इतनी खुशहाली है
अब जी नहीं करता की यहाँ से लौट जाऊं
बादलों के साथ खेलूँ ,हवा से बतियाऊं और बस यहीं का हो जाऊं
आया समझ में अब, की सपनो को पूरा करने के लिए यहाँ आना ज़रूरी है
इसलिए ज़िन्दगी की दौड़ में तूफ़ान से ज्यादा वेग लाना ज़रूरी है
मंज़िल पाने का जज्बा भरपूर
फिर भी न जाने मंज़िल लगती क्यों दूर
तूफ़ान से तेज़ चलने की चाह
हर घडी हर वक़्त बदलती है राह
सारी कायनात इस बात की है गवाह
कितना बेताब हूँ पाने को सुबह
जब भी लगा थक गया हूँ
थमने पर मजबूर हो गया हूँ
लगा जैसे की भीड़ में खो गया हूँ
इसलिए नयी उड़ान भर अब मैं गगन का हो गया हूँ
उस गगन की तो बात ही निराली है
कभी सूर्य की शक्ति, तो कभी तारो की हरियाली है
पता चला मुझे की, मेरा इश्वर इस बागीचे का माली है
तभी तो यहाँ इतनी खुशहाली है
अब जी नहीं करता की यहाँ से लौट जाऊं
बादलों के साथ खेलूँ ,हवा से बतियाऊं और बस यहीं का हो जाऊं
आया समझ में अब, की सपनो को पूरा करने के लिए यहाँ आना ज़रूरी है
इसलिए ज़िन्दगी की दौड़ में तूफ़ान से ज्यादा वेग लाना ज़रूरी है