Wednesday, July 7, 2010

न जाने क्यों आज रोने का मन करता है.



न जाने क्यूँ आज रोने का मन करता है।


माला से टूटे हर मोती को नयी लड़ी में पिरोने का मन करता है।


मेरे मन पे लगे दागों को धोने का मन करता है।


न जाने क्यूँ आज रोने का मन करता है।


समझ नहीं पता की क्यों सब कुछ पके खोने का मन करता है।


मेरे सूखे हुए दिल को आज फिर अशकों से भिगोने का मन करता है।


न जाने क्यों आज रोने का मन करता है.

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